ढुंढता रहा दिल ढुंढता रहा
सुनी शामों में, सुनी राहों में,
सुना घर कोई गिरता नजर आया !
ढुंढता रहा दिल ढुंढता रहा
खोए रिश्तो से, सोए सपनों से
बदली नजरोंसे डरता नजर आया !
ढुंढता रहा दिल ढुंढता रहा
टुटे वादों में, टूटी कसमों में

उजला फूल उसे हसता नजर आया !